Saturday, 28 January 2023

राजस्थान की मृदा ( Rajasthan Soil )

 राजस्थान की मृदा 


1.उत्पादन क्षमता व गुणों के आधार पर



1. रेतीली मृदा :–
• कार्बनिक पदार्थों व नाइट्रोजन की कमी
• केल्सियम की अधिकता
• कणों का आकार बड़ा
• जलधारण क्षमता कम

2. भूरी रेतीली मृदा :-
• नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थों की कमी
• फाॅस्फेट की अधिकता 
• क्षेत्र - जोधपुर, नागौर, पाली, चूरू, सीकर, झुंझुनू।

3. काच्छारी / जलोढ़ मृदा :-
• मिट्टी के कणों का आकार छोटा होता है ।
• जल ग्रहण क्षमता अधिक 
• ह्यूमस, फाॅस्फोरस की कमी
• सबसे ज्यादा उपजाऊ मृदा 
• क्षेत्र - पूर्वी राजस्थान (जयपुर, टोंक, भरतपुर, दौसा, अलवर)

4. काली मृदा / रेगूर :-
• मृदा महीन कणों वाली
• जल ग्रहण क्षमता सर्वाधिक 
• बेसाल्ट चट्टानों के शरण से
• कैल्शियम व पोटाश की पर्याप्त मात्रा 
• फाॅस्फेट व नाइट्रोजन की कमी 
• कपास के लिए सर्वोत्तम 
• हाडोती क्षेत्र में।

5. लवणीय मृदा :-
• बाड़मेर, जालौर 
• क्षारीय तत्वों की अधिकता 
• लूनी नदी का जल बालोतरा (बाड़मेर) के बाद खारा हो जाता।


6. लाल लोमी मृदा :-
• दक्षिण भाग में 
• लाल रंग - लौह तत्व की अधिकता के कारण 
• मक्का, चावल, गन्ना।

7. लाल-काली मृदा :- 
• मिश्रण - लाल + काली
• भीलवाड़ा, उदयपुर पूर्वी भाग, चित्तौड़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़।
• मक्का, कपास के लिए 
• नाइट्रोजन, फास्फोरस की कमी के बावजूद भी उपजाऊ मृदा

8. लाल-पीली मृदा :-
• सवाई माधोपुर का पश्चिमी भाग, भीलवाड़ा, अजमेर, सिरोही, करौली ।
• लौह ऑक्साइड की अधिकता 
• नाइट्रोजन, कैल्शियम की कमी।


2. राज्य कृषि आयोग के अनुसार मृदा  14



   मृदा प्रकार        जिले


1. साई रोजेक्स – श्रीगंगानगर
2. रेवेरिना – श्रीगंगानगर

3. जिप्सीफेरस – Bikaner

4. Great Brown जलोढ़ मृदा – जालौर, सिरोही, पाली, नागौर, अजमेर ।

5. नॉन केल्सिल ब्राउन मृदा – सीकर, झुंझुनू, जयपुर, अलवर, अजमेर, नागौर ।

6. नवीन जलोढ़ मृदा – अलवर, भरतपुर, जयपुर, सवाई माधोपुर ।

7. पीली-भूरी मृदा – जयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़, उदयपुर ।

8. नवीन भूरी मृदा – भीलवाड़ा, अजमेर ।

9. मरुस्थली मृदा – सभी मरुस्थल जिलों में ।
10. पर्वतीय मृदा – उदयपुर, कोटा ।
11. लाल लोमी मृदा – डूंगरपुर, बांसवाड़ा ।
12. गहरी काली मध्यम मृदा – कोटा, बूंदी, चित्तौड़, ..... ( दक्षिण पूर्वी राजस्थान )
13. कैल्सी ब्राउन मरुस्थली मृदा – जैसलमेर, बीकानेर। 
14. मरुस्थल व बालुका स्तूप मृदा– जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, जोधपुर ।

3.वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार वर्गीकरण

  1. एरिडीसोल्स 
  2. एन्टीसोल्स 
  3.  एल्फीसोल्स / अल्फीसोल्स 
  4. इनसेप्टीसोल्स 
  5. वर्टीसोल्स। 
1. एन्टीसोल्स :-
• राजस्थान के पश्चिमी भाग में लगभग सभी जिलों में।

2. एरिडीसोल्स :- 
• राजस्थान के शुष्क व अर्द्धशुष्क जिलों में यह मृदा पाई जाती है।( पश्चिमी राजस्थान )।

3. अल्फीसोल्स :-

• जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, सवाईमाधोपुर, करौली ( मैदानी क्षेत्र में )।

4. इनसेप्टीसोल्स :-

• सिरोही, पाली, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद, जयपुर, दौसा, अलवर (अरावली क्षेत्र के आस - पास )।

5. वर्टीसोल्स :-

• हाड़ौती क्षेत्र ( कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ )
• आर्द्र व अतिआर्द्र जलवायु प्रदेश में।

✍️ मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना :- 

• Launch -19 फरवरी 2015 को सूरतगढ़ से 

• मृदा की गुणवत्ता की जांच के लिए।


✍️ मृदा अपरदन :- 

• जल के तीव्र प्रहार, वायु वेग एवं हिमपात से मिट्टी एक स्थान से हटकर दूसरे स्थान पर एकत्रित हो जाती है, यही स्थानांतरण मृदा अपरदन या अपक्षरण कहलाता है।

 मृदा अपरदन :- 

• मिट्टी की रेंगती हुई मृत्यु 

• कृषि का क्षय रोग

• कृषि का पहला शत्रु।


जलीय अपरदन :- 
• जल के बहाव के साथ मिट्टी का अपरदन 
• राजस्थान में सर्वाधिक जल अपरदन वाला जिला कोटा 
• संभाग - कोटा  
• राजस्थान में जल अपरदन से सर्वाधिक प्रभावित चंबल प्रदेश

# चादरी अपरदन :- 
• जब वर्षा के समय निर्जन पहाड़ियों की मिट्टी वर्षा जल के साथ बह जाती है इसी चादरी अपरदन कहते हैं।
 
• सर्वाधिक चादरी अपरदन :- सिरोही, राजसमंद।






No comments:

Post a Comment

Most Loved

राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं✍

IndiaEnotes राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं✍ प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ ● राजस्थान राज्य के लोक निर्माण विभाग से अलग होने के बाद 14 सितम...