राज्य मानवाधिकार आयोग
राजस्थान मानवाधिकार आयोग
गठन :– 18 जनवरी, 1999
कार्य प्रारम्भ :– 23 मार्च, 2000
✍️ यह राज्य सूची व समवर्ती सूची के विषयों पर कार्यवाही कर सकता हैं।
✍️ यह एक सांविधिक/ वैधानिक संस्था हैं।
संरचना :–
• प्रारम्भ में – 1 अध्यक्ष + 4 सदस्य
• 2006 से – 1 अध्यक्ष + 2 सदस्य
• वर्तमान में 2019 से संशोधन के पश्चात् –
1 अध्यक्ष + 2 सदस्य + 1 महिला सदस्य
Total – 4
योग्यता :–
✍️ High court ke सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य सेवानिवृत्त न्यायाधीश को अध्यक्ष बनाया जाता हैं।
2 सदस्य 1 सदस्य High court का न्यायाधीश या न्यूनतम 7 वर्ष के अनुभव वाला जिला न्यायाधीश रहा हो
1 सदस्य ऐसा व्यक्ति जो मानवाधिकार का ज्ञाता हो।
1 महिला सदस्य जो मानवाधिकार की ज्ञाता हो।
नियुक्ति :–
✍️ राज्यपाल द्वारा चयन समिति की सिफारिश पर, जिसमे
• CM
• विधानसभा अध्यक्ष
• गृहमंत्री
• विधानसभा में विपक्ष का नेता
✍️ चयन समिति के अध्यक्ष CM होते हैं।
कार्यकाल :–
✍️ 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु जो भी पहले हो।
NOTE :- कार्यकाल पहले 5 वर्ष या 70 की आयु हुआ करता था, जिसे 2019 में संशोधित करके 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु कर दिया गया।
NOTE :- यदि आयु 70 से कम हैं तो पुनः नियुक्ति भी की जा सकती हैं।
✍️ यदि अध्यक्ष की मृत्यु पदत्याग या अन्य कारण हो तो सदस्य अध्यक्ष के रूप में कार्य कर सकता हैं।
त्यागपत्र :– स्वयं हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा राज्यपाल को।
हटाया जाना :–
✍️ कदाचार या असमर्थता के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय जांच करेगा तथा जांच के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जाता हैं।
Note :- यह राज्यपाल के प्रसाद पर्यन्त नहीं होता हैं।
कार्य :–
• मानव अधिकारों का संरक्षण करना ।
• मानवाधिकार उल्लंघन से संबंधित मामलों की जांच करना।
• समय-समय पर जेल का निरीक्षण करना ।
• हिरासत में मृत्यु या फर्जी एनकाउंटर की जांच करना ।
• महिला / SC / ST के भेदभाव की जांच करना ।
• मानवाधिकार क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास करना।
नोट :– यह 1 वर्षीय पुराने मामलों की जांच नहीं कर सकता।
✍️ राज्य मानवाधिकार आयोग को दीवानी अदालत की शक्तियां प्राप्त है।
प्रथम अध्यक्ष – कांता भटनागर
वर्तमान अध्यक्ष – गोपाल कृष्ण व्यास
सदस्य –
• महेश गोपाल
• जस्टिस राम सिंह झाला ।
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