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Saturday, 28 January 2023

राजस्थान की मृदा ( Rajasthan Soil )

 राजस्थान की मृदा 


1.उत्पादन क्षमता व गुणों के आधार पर



1. रेतीली मृदा :–
• कार्बनिक पदार्थों व नाइट्रोजन की कमी
• केल्सियम की अधिकता
• कणों का आकार बड़ा
• जलधारण क्षमता कम

2. भूरी रेतीली मृदा :-
• नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थों की कमी
• फाॅस्फेट की अधिकता 
• क्षेत्र - जोधपुर, नागौर, पाली, चूरू, सीकर, झुंझुनू।

3. काच्छारी / जलोढ़ मृदा :-
• मिट्टी के कणों का आकार छोटा होता है ।
• जल ग्रहण क्षमता अधिक 
• ह्यूमस, फाॅस्फोरस की कमी
• सबसे ज्यादा उपजाऊ मृदा 
• क्षेत्र - पूर्वी राजस्थान (जयपुर, टोंक, भरतपुर, दौसा, अलवर)

4. काली मृदा / रेगूर :-
• मृदा महीन कणों वाली
• जल ग्रहण क्षमता सर्वाधिक 
• बेसाल्ट चट्टानों के शरण से
• कैल्शियम व पोटाश की पर्याप्त मात्रा 
• फाॅस्फेट व नाइट्रोजन की कमी 
• कपास के लिए सर्वोत्तम 
• हाडोती क्षेत्र में।

5. लवणीय मृदा :-
• बाड़मेर, जालौर 
• क्षारीय तत्वों की अधिकता 
• लूनी नदी का जल बालोतरा (बाड़मेर) के बाद खारा हो जाता।


6. लाल लोमी मृदा :-
• दक्षिण भाग में 
• लाल रंग - लौह तत्व की अधिकता के कारण 
• मक्का, चावल, गन्ना।

7. लाल-काली मृदा :- 
• मिश्रण - लाल + काली
• भीलवाड़ा, उदयपुर पूर्वी भाग, चित्तौड़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़।
• मक्का, कपास के लिए 
• नाइट्रोजन, फास्फोरस की कमी के बावजूद भी उपजाऊ मृदा

8. लाल-पीली मृदा :-
• सवाई माधोपुर का पश्चिमी भाग, भीलवाड़ा, अजमेर, सिरोही, करौली ।
• लौह ऑक्साइड की अधिकता 
• नाइट्रोजन, कैल्शियम की कमी।


2. राज्य कृषि आयोग के अनुसार मृदा  14



   मृदा प्रकार        जिले


1. साई रोजेक्स – श्रीगंगानगर
2. रेवेरिना – श्रीगंगानगर

3. जिप्सीफेरस – Bikaner

4. Great Brown जलोढ़ मृदा – जालौर, सिरोही, पाली, नागौर, अजमेर ।

5. नॉन केल्सिल ब्राउन मृदा – सीकर, झुंझुनू, जयपुर, अलवर, अजमेर, नागौर ।

6. नवीन जलोढ़ मृदा – अलवर, भरतपुर, जयपुर, सवाई माधोपुर ।

7. पीली-भूरी मृदा – जयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़, उदयपुर ।

8. नवीन भूरी मृदा – भीलवाड़ा, अजमेर ।

9. मरुस्थली मृदा – सभी मरुस्थल जिलों में ।
10. पर्वतीय मृदा – उदयपुर, कोटा ।
11. लाल लोमी मृदा – डूंगरपुर, बांसवाड़ा ।
12. गहरी काली मध्यम मृदा – कोटा, बूंदी, चित्तौड़, ..... ( दक्षिण पूर्वी राजस्थान )
13. कैल्सी ब्राउन मरुस्थली मृदा – जैसलमेर, बीकानेर। 
14. मरुस्थल व बालुका स्तूप मृदा– जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, जोधपुर ।

3.वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार वर्गीकरण

  1. एरिडीसोल्स 
  2. एन्टीसोल्स 
  3.  एल्फीसोल्स / अल्फीसोल्स 
  4. इनसेप्टीसोल्स 
  5. वर्टीसोल्स। 
1. एन्टीसोल्स :-
• राजस्थान के पश्चिमी भाग में लगभग सभी जिलों में।

2. एरिडीसोल्स :- 
• राजस्थान के शुष्क व अर्द्धशुष्क जिलों में यह मृदा पाई जाती है।( पश्चिमी राजस्थान )।

3. अल्फीसोल्स :-

• जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, सवाईमाधोपुर, करौली ( मैदानी क्षेत्र में )।

4. इनसेप्टीसोल्स :-

• सिरोही, पाली, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद, जयपुर, दौसा, अलवर (अरावली क्षेत्र के आस - पास )।

5. वर्टीसोल्स :-

• हाड़ौती क्षेत्र ( कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ )
• आर्द्र व अतिआर्द्र जलवायु प्रदेश में।

✍️ मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना :- 

• Launch -19 फरवरी 2015 को सूरतगढ़ से 

• मृदा की गुणवत्ता की जांच के लिए।


✍️ मृदा अपरदन :- 

• जल के तीव्र प्रहार, वायु वेग एवं हिमपात से मिट्टी एक स्थान से हटकर दूसरे स्थान पर एकत्रित हो जाती है, यही स्थानांतरण मृदा अपरदन या अपक्षरण कहलाता है।

 मृदा अपरदन :- 

• मिट्टी की रेंगती हुई मृत्यु 

• कृषि का क्षय रोग

• कृषि का पहला शत्रु।


जलीय अपरदन :- 
• जल के बहाव के साथ मिट्टी का अपरदन 
• राजस्थान में सर्वाधिक जल अपरदन वाला जिला कोटा 
• संभाग - कोटा  
• राजस्थान में जल अपरदन से सर्वाधिक प्रभावित चंबल प्रदेश

# चादरी अपरदन :- 
• जब वर्षा के समय निर्जन पहाड़ियों की मिट्टी वर्षा जल के साथ बह जाती है इसी चादरी अपरदन कहते हैं।
 
• सर्वाधिक चादरी अपरदन :- सिरोही, राजसमंद।






Sunday, 22 January 2023

राजस्थान की अपवाह तन्त्र - नदियाँ ( Rajasthan River's)

राजस्थान की नदियाँ

राजस्थान के जल संसाधनों को प्रमुख रूप से दो भागो मैं बांटा गया है –

1. नदियों का जल
2. झीलों का जल

राजस्थान में प्रवाह के आधार पर नदियों को तीन भागों में बांटा गया है -

1. अरब सागर में गिरने वाली नदियां - 17%
2. बंगाल की खाड़ी की ओर जाने वाली नदियां - 23%
3. अंतः प्रवाह वाली नदियां - 60%

1. अरब सागर में गिरने वाली नदियां - 

Trick - सालू की मां पश्चिमी बनास पर सोजा

साबरमती, लूनी, माही, पश्चिमी बनास, सोम, जाखम

1. लूनी नदी -

उदगम स्थल - अजमेर जिले की आनासागर झील/नाग पर्वत

प्रवाह की दिशा - दक्षिण-पश्चिम
लूनी नदी की लंबाई - 330 किलोमीटर
लूनी नदी पश्चिमी राजस्थान की प्रमुख नदी है।
भारत की एकमात्र नदी जिसका आधा भाग खारा तथा आधा भाग मीठा हैं।

लूनी नदी बाड़मेर जिले के बालोतरानामक स्थान से खारी हो जाती है।

लूनी नदी के खारी होने का एक प्रमुख कारण मिट्टी की लवणीयता है।

लूनी नदी के उपनाम - लवणवती, मारवाड़ की गंगा, रेगिस्तान की गंगा,आधी मीठी आधी खारी नदी, अन्त: सलिला( कालिदास ने), साकी (अजमेर मैदान), सागरमती (उद्गम स्थल)

लूनी नदी के प्रवाह वाले जिले - अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालौरपी

लूनी नदी की सहायक नदियां - लीलडी, सूकड़ी, जोजड़ी, सागी, मीठड़ी, जवाई, बांडी 

लूनी नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी - जवाई
लूनी नदी की सहायक नदी जिसका उद्गम स्थल अरावली पर्वत नहीं है - जोजड़ी

लूनी नदी राजस्थान के जालौर जिले से निकलकर कच्छ की खाड़ी में गिरती है।
जवाई नदी का उदगम स्थल - गोरिया गांव (पाली)

जवाई नदी के प्रवाह वाले जिले - पाली, जालौर, बाड़मेर
सुमेरपुर (पाली) के निकट जवाई नदी पर जवाई बांध बना हुआ है। इसे मारवाड़ का अमृत सरोवर कहते हैं।

2. पश्चिमी बनास -

उदगम स्थल - नया सानवारा गांव (सिरोही)
पश्चिमी बनास कच्छ के रन (कच्छ की खाड़ी) में विलुप्त हो जाती है।
यह सिरोही जिले में प्रवाहित होती है।

3. माही नदी -

उदगम स्थल - (धार जिला) मध्य प्रदेश की विंध्याचल पहाड़ियों से (मेहद झील)

माही नदी दक्षिणी राजस्थान की प्रमुख नदी है।
माही नदी राजस्थान में बांसवाड़ा जिले के खांदू गांव से प्रवेश करती हैं।

माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है।
माही नदी बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले की सीमा बनाती है।

माही नदी अपने प्रवाह क्षेत्र में "उल्टा U" बनाती है।

• माही नदी के उपनाम - कांठल की गंगा, आदिवासियों की गंगा, वागड़ की गंगा, दक्षिण राजस्थान की गंगा

• माही नदी डूंगरपुर जिले में सोम और जाखम नदियों के साथ मिलकर बेणेश्वर नामक स्थान पर त्रिवेणी का निर्माण करती है।

•बेणेश्वर में लगने वाला मेला आदिवासियों का कुंभ कहलाता है।

• माही नदी पर बांसवाड़ा जिले में बरखेड़ा नामक स्थान पर माही बजाज सागर बांध बनाया गया है।

अनास नदी - विंध्याचल (MP) से निकलकर बांसवाड़ा में बहती हुई माही नदी में मिल जाती है।

माही नदी पर पंचमहल, रामपुर (गुजरात) में कडाना बांध बनाया गया है।

माही नदी सिंचाई परियोजना से लाभान्वित राज्य - राजस्थान, गुजरात
माही नदी की कुल लंबाई - 576 किलोमीटर

माही नदी की राजस्थान में लंबाई - 171 किलोमीटर

माही की सहायक नदियां - सोम, जाखम, अनास, हरण, चाप, मोरेन 
(Trick - SJAHCM)

माही के प्रवाह की दिशा - पहले उत्तर-पश्चिम और पुनः वापसी में दक्षिण-पश्चिम।

माही नदी गुजरात में बहते हुए खंभात की खाड़ी में विलुप्त हो जाती है।

माही नदी तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, एवं गुजरात में बहती हैं।
इसके प्रवाह क्षेत्र को छप्पन का मैदान कहा जाता है।
माही की सहायक नदी इरु नदी इसमें माही बजाज सागर बांध से पहले आकर मिलती है। शेष नदियां बांध के पश्चात मिलती हैं।

4. सोम नदी -

उदगम स्थल - बीछामेडा की पहाड़ियां (उदयपुर)

सोम नदी उदयपुर व डूंगरपुर की सीमा बनाती है।
सोम नदी डूंगरपुर में बेणेश्वर में माही नदी में मिलती है!

प्रवाह वाले जिले - उदयपुर, डूंगरपुर


 5. जाखम नदी -

उदगम स्थल - छोटी सादड़ी (प्रतापगढ़)

प्रवाह वाले जिले - प्रतापगढ़, उदयपुर, डूंगरपुर

विलुप्त - डूंगरपुर (बेणेश्वर) में माही नदी में मिल जाती हैं।

6. साबरमती नदी -

उदगम स्थल - गोगुंदा की पहाड़ियां (उदयपुर)

यह राजस्थान में एकमात्र उदयपुर जिलेमें लगभग 30 किलोमीटर बहती है!

इसका अधिकांश प्रवाह गुजरात राज्य में है
साबरमती गुजरात के सावरकांठा जिले से गुजरात में प्रवेश करती है।

गुजरात के गांधीनगर और अहमदाबाद साबरमती नदी के किनारे बसे हुए हैं।
साबरमती नदी गुजरात में बहते हुए खंभात की खाड़ी में विलुप्त हो जाती है।

सहायक नदियां - वाकल (उद्गम - गोगुंदा की पहाड़ियां (उदयपुर)), माजम, मेश्वा, हथमती

2. बंगाल की खाड़ी की ओर जाने वाली नदियां -


Trick - बेबच कोका बापा गंग 

बेडच, बनास, चंबल, कोठारी, कालीसिंध, बाणगंगा, पार्वती, गंभीरी, गंभीर

1. चंबल नदी - 

उदगम स्थल - महू जानापाव की पहाड़ियां (MP)

चंबल नदी राजस्थान में चौरासी गढ़ (मंदसौर) MP से चित्तौड़ में प्रवेश करती हैं।

चंबल नदी चित्तौड़गढ़ के बाद क्रमशः कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली और धौलपुर जिलों में बहने के बाद राजस्थान से बाहर निकल जाती है।

चंबल नदी कोटा, बूंदी की सीमा बनाती है।

चंबल नदी तीन राज्यों MP, RJ, UP में प्रवाहित होती है।

चंबल नदी मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान के तीन जिलों धौलपुर, सवाई माधोपुर, करौली के साथ सीमा बनाती है।

चंबल नदी राजस्थान की एकमात्र नदी है जो कि दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है।

चंबल नदी उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के मुरादगंज नामक स्थान पर यमुना नदी में विलुप्त हो जाती हैं।

चंबल नदी पर चित्तौड़गढ़ जिले में भैंसरोडगढ़ नामक स्थान पर चूलिया जलप्रपात स्थित है।
यहां बामनी नदी आकर इसमें मिलती है।

उपनाम - चर्मण्वती, कामधेनु, बारहमासी,नित्यवाही
चंबल नदी के अलावा माही नदी को भी बारहमासी नदी कहा जाता है। 

सहायक नदियां - कालीसिंध, कुराल, मेज, बनास, बामणी, पार्वती

TRICK - काका में बाबा मापा

चंबल नदी की कुल लंबाई - 965 / 966 KM

राजस्थान में चंबल नदी की लंबाई - 135 KM

राजस्थान की सबसे लंबी नदी - बनास

राज्य में सर्वाधिक सतही जल चंबल नदी में उपलब्ध है।

सर्वाधिक जलग्रहण क्षमता वाली नदी - बनास

चंबल नदी पर बनाए गए बांध - 

1. गाँधीसागर - मंदसौर जिला (मध्यप्रदेश)

2. राणा प्रताप सागर - चित्तौड़गढ़

3. जवाहर सागर - कोटा - बूंदी सीमा पर (पिकअप बांध)

4. कोटा बैराज - कोटा (सिंचाई के लिए)

2. बनास नदी -

उदगम स्थल - राजस्थान में कुंभलगढ़ के निकट खमनोर की पहाड़ियां
इस नदी को वर्णाशा नदी के नाम से भी जाना जाता है।

बनास नदी की कुल लंबाई - 480 KM

बनास नदी मेवाड़ क्षेत्र की महत्वपूर्ण नदी है।

बनास नदी के प्रवाह वाले जिले 
- राजसमंद, चित्तौड़, अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, सवाई माधोपुर

बनास सवाई माधोपुर जिले में रामेश्वर के निकट पादरला गांव के निकट चंबल में मिल जाती है।

बनास नदी पर टोंक जिले में बीसलपुर बांध बना हुआ है।

बीसलपुर बांध को अजमेर के चौहान शासक बीसलदेव / विग्रहराज चतुर्थ ने बनवाया था।
बनास नदी पर टोंक तथा सवाई माधोपुर की सीमा पर ईसरदा बांध बनाया गया है।

ईसरदा बांध को काफर डैम कहा जाता है।

ईसरदा बांध से जयपुर शहर के लिए जलापूर्ति होगी।

बनास की सहायक नदियां - बेड़च, मेनाल कोठारी, खारी, मानसी, मोरेल, गंभीरी
 बनास नदी भीलवाड़ा जिले में बींगोद नामक स्थान पर मेनाल और बेड़च के साथ मिलकर त्रिवेणी बनाती है।

3. बेड़च नदी -

उदगम स्थल - गोगुंदा की पहाड़ियां, उदयपुर
बेड़च नदी उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा जिले में बहते हुए बींगोद के पास बनास में मिल जाती हैं
बेड़च को उद्गम स्थल से उदयसागर झील तक आयड कहा जाता है।

4. कोठारी नदी -
उदगम स्थल - दिवेर (राजसमंद)

कोठारी नदी राजसमंद और भीलवाड़ा जिले में बहते हुए नंदराय नामक स्थान पर बनास नदी में मिल जाती है।
भीलवाड़ा जिले में कोठारी नदी पर मेजा बांध बना हुआ है।


5. गंभीरी नदी - 

उदगम स्थल - छोटी सादड़ी, प्रतापगढ़

यह प्रतापगढ़ और चित्तौड़ में बहकर चित्तौड़गढ़ जिले में ही बनास में मिल जाती है।
यह बनास की सहायक नदी है।

6. कालीसिंध नदी - 

उदगम स्थल - देवास (मध्यप्रदेश)

कालीसिंध रायपुर (झालावाड़) से बिंदा गांव से राजस्थान में प्रवेश करती है।

कालीसिंध कोटा और बांरा की सीमा पर बहते हुए चंबल नदी में कोटा जिले के नौनेरा गांव के पास मिल जाती है।

सहायक नदियां - आहू, परवन, निमाज

 (Trick - अपनी)

आहू नदी - 

उदगम स्थल - सुस्नेर (MP)

आहू नदी गागरोन के पास कालीसिंध में मिल जाती है।

गागरोन का प्रसिद्ध जल दुर्ग आहू और कालीसिंध नदियों के संगम पर बना हुआ है!

परवन नदी का उद्गम स्थल - विंध्याचल की पहाड़ी (MP)

परवन नदी (पलायता गांव) बांरा जिले में कालीसिंध में मिल जाती हैं।

7. पार्वती नदी -

उदगम स्थल - सेहोर (MP)

बांरा जिले के करियाहट नामक स्थान से राजस्थान में प्रवेश करती है।

पार्वती कोटा तथा बांरा की सीमा पर बढ़ते हुए सवाई माधोपुर में पलिया नामक स्थान पर चंबल नदी में मिल जाती हैं!

प्रवाह वाले जिले - बांरा, कोटा, सवाई माधोपुर

8. बाणगंगा नदी - 

• उपनाम - अर्जुन की गंगा, ताला नदी, रूण्डित नदी।

• उदगम- जयपुर की बैराठ पहाड़िया

• बाणगंगा नदी पर जयपुर जिले में रामगढ़ बांध बना है जो कि जयपुर शहर की जलापूर्ति का सबसे बड़ा स्रोत है।

• बाणगंगा नदी जयपुर, दोसा और भरतपुर में बहते हुए आगरा में यमुना नदी में मिल जाती हैं।
• बैराठ की सभ्यता का जन्म बाणगंगा नदी के किनारे हुआ था।

9. गंभीर नदी - 

• उदगम - सवाई माधोपुर के गंगापुर से

• गंभीर नदी सवाई माधोपुर, करौली, भरतपुर धौलपुर में बहते हुए आगरा के पास यमुना नदी में मिल जाती है।
• गंभीर नदी पर करौली जिले में पांचना बांध बना हुआ है यह मिट्टी से निर्मित सबसे बड़ा बांध है।

• केवलादेव के लिए जल आपूर्ति की मांग पांचना बांध से की जा रही है!

• महावीर जी का प्रसिद्ध जैन मंदिर गंभीर नदी के किनारे बना है।

• पांचना बांध में गिरने वाली नदियां -
 भद्रावती,, माची, अटा, भैंसावर, बरखेड़ा

Trick - भीम अभी बाजार गया है 

3. आंतरिक प्रवाह वाली नदियाँ - 


Trick - काका मेसा रूघचू

कातंली, काकनेय, मेंथा, साबी, रूपारेल, घग्घर, चूहड़ सिद्ध

1. घग्घर नदी - 

• घग्घर नदी हिमाचल प्रदेश में शिमला के पास शिवालिक की पहाड़ियों से निकलती हैं।
• घग्घर नदी वैदिक काल की सरस्वती नदी हैं।
• यह राजस्थान की एकमात्र नदी है जिसका उदगम हिमालय से होता है।
• घग्घर नदी बरसात के दिनों में अपना पानी श्रीगंगानगर के अनूपगढ़ तक ले जाती है।

• घग्घर नदी को पाकिस्तान में हकरा के नाम से जाना जाता है।
यह पाकिस्तान में गड्ढों या पोखर के रूप में मिलती हैं।

• घग्घर नदी को मृत नदी के नाम से भी जाना जाता है।

• यह राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी तहसील के तलवाड़ा गांव के पास राजस्थान में प्रवेश करती है।

• उपनाम - सरस्वती, नट नदी, मृत नदी, हकरा(पाकिस्तान में) , राजस्थान का शोक , दृषद्वती नदी।

2. काकनेय नदी / मसूरदी नदी -

• उदगम - जैसलमेर के कोटारी / कोट्यारी गांव से होता है।
स्थानीय भाषा में इसे मसूरदी नदी के नाम से भी जाना जाता है।

• काकनेय / काकनी नदी जैसलमेर में बुझ झील का निर्माण करती हैं।
• बरसात के दिनों में इस नदी की एक शाखा दूसरी ओर निकल कर मीठा खाड़ी नामक मीठी झील का निर्माण करती हैं।

3. कातंली नदी -

• उदगम - सीकर की खण्डेला पहाड़ी
• कातंली नदी से सीकर व झुंझुनू में बहने के बाद चुरू की सीमा पर जाकर विलुप्त हो जाती हैं।
• कातंली नदी का बहाव क्षेत्र तोरावाटी कहलाता है।
• कातंली नदी झुंझुनू को दो भागों में बांटती है।
• राजस्थान में पूर्णतः बहाव की दृष्टि से राजस्थान की आंतरिक अपवाह की सबसे लम्बी नदी।

4. मेंथा नदी -

• उदगम स्थल - मनोहरपुर, जयपुर
• मेंथा जयपुर और नागौर जिलों में बहते हुए सांभर झील में मिल जाती हैं।

5. साबी नदी -

उदगम - सेवर की पहाड़ी, जयपुर

• साबी दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है।
• सेवर की पहाड़ियों से निकलकर यह नदी अलवर में बहती हुई हरियाणा में जाकर विलुप्त हो जाती हैं।

6. रूपारेल नदी / वाराह नदी / लसवारी नदी - 

• रूपारेल नदी अलवर जिले से निकलकर अलवर और भरतपुर में बहते हुए आगरा तक जाती है।
• नोह सभ्यता का विकास रूपारेल नदी के किनारे हुआ था।

• नोह सभ्यता में जाखम बाबा / यक्ष की मूर्ति तथा गौरेया पक्षी के साक्ष्य मिले हैं।

Thursday, 19 January 2023

राजस्थान की जलवायु (Rajasthan Climate)

 राजस्थान की जलवायु

 (Rajasthan Climate)

राजस्थान की जलवायु प्रदेश वर्गीकरण 

कोपेन का वर्गीकरण वनस्पति के आधार पर 

वर्षा, तापमान 


1. BWhw(उष्णकटिबंधीय मरुस्थल जलवायु प्रदेश) :-

जिले – जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, पश्चिमी जोधपुर 
प्रतिनिधि जिला – बीकानेर
• वर्षा – 10 से 20 सेमी.

2. Bshw (उष्णकटिबंधीय अर्ध शुष्क जलवायु प्रदेश) :-

जिले – बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, पाली, जालौर, सीकर, चूरू, झुंझुनू, सिरोही 
प्रतिनिधि जिला – नागौर 
• वर्षा 20 से 40 सेमी.

3. CWg ( उष्णकटिबंधीय उपआर्द्र जलवायु प्रदेश :-

जिले – मध्य पूर्वी राजस्थान क्षेत्र (  अजमेर जयपुर टोंक करौली दौसा  सवाई माधोपुर भीलवाड़ा भरतपुर अलवर धौलपुर )
प्रतिनिधि नगर – टोंक
• वर्षा 40 से 80 सेमी

4. AW उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश :- 

विस्तार :- दक्षिणी दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र (डूंगरपुर बांसवाड़ा कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, प्रतापगढ़)
प्रतिनिधि – बांसवाड़ा 
• वर्षा – 80 से अधिक 


थॉर्टवेट का वर्गीकरण वर्षा तापमान वनस्पति वाष्पीकरण
 

Wednesday, 18 January 2023

राजस्थान की झीलें

राजस्थान की झीलें : 



• राजस्थान में सर्वाधिक झीलें – उदयपुर में 

राजस्थान की मीठे पानी की झीलें :-

• जयसमंद झील – उदयपुर
• पिछोला झील – उदयपुर 
• फतेहसागर झील – उदयपुर
• उदय सागर झील – उदयपुर 
• नक्की झील – माउंट आबू सिरोही 
• राजसमंद झील – राजसमंद 
• नंदसमंद झील – राजसमंद 
• आनासागर झील – अजमेर 
• फॉयसागर झील – अजमेर 
• पुष्कर झील – अजमेर 
• गजनेर झील – बीकानेर 
• कोलायत झील – बीकानेर 
• कायलाना झील – जोधपुर
• बालसमंद झील – जोधपुर 
• सिलीसेढ़ झील – अलवर 
• तालाब-ए-शाही झील – धौलपुर 
• अमर सागर झील – जैसलमेर 
• गढ़सीसागर झील – जैसलमेर

राजस्थान की खारे पानी की झीलें :-

• सांभर झील – जयपुर 
• डीडवाना झील – नागौर 
• नावां झील – नागौर
• डेगाना झील – नागौर 
• कुचामन झील – नागौर 
• पचपदरा झील – बाड़मेर 
• लूणकरणसर झील – बीकानेर 
• कावोद झील – जैसलमेर 
• रेवासा झील – सीकर
• काछोरा झील – सीकर 
• फलोदी झील – जोधपुर 
• तालछापर झील – चूरू 

राजस्थान की मीठे पानी की झीलें :–

1 जयसमगंद झील ( उदयपुर)
•  निर्माता-  महाराज जयसिंह
•  निर्माण काल-  1685- 1691
•  नदी-  गोमती
•  जयसमंद झील पर “7  टापू” स्थित है। 
•  इस  झील पर स्थित सबसे  बड़े टापू का नाम “बाबा का भाखड़ा”  है।
• सबसे छोटे टापू को “प्यारी” के नाम से जाना जाता है । 
• इन  टापू पर रहने वाली जनजाति भील मीणा  जनजाति है। 
•  जयसमंद झील राजस्थान की मानव निर्मित सबसे बड़ी झील है। 
•  ताजमहल पर रूठी रानी का महल इस झील के किनारे चित्रित है। 
•  इसे “जलचरओं की बस्ती”  कहा जाता है। यहां पर सर्वाधिक जलीय जीव पाए जाते हैं। 
•  श्यामपुर –  भाट नेहरे:- सिंचाई के लिए जयसमंद झील से निकली गई है। 

2 नक्की झील ( माउंट आबू)
•  निर्माण-  लोक कहावतों के अनुसार देवताओं के नाखूनों द्वारा हुआ है। 
•  यह एक क्रेटर झील है अर्थात ज्वालामुखी झील। 
•  राजस्थान की सबसे ऊंची झील नक्की झील मानी जाती है इसकी ऊंचाई 1200 मीटर है। 
•  यह झील राजस्थान में जमने वाली एकमात्र झील  है। 
•   इसे राजस्थान की सबसे गहरी झील(35 मी) कहते हैं। 
•  इसके पास पाई जाने वाली चट्टाने निम्न है। 
1 टॉड रॉक – मेंढक जैसी चट्टान।
2  नंदी रॉक –  शिव के बैल जैसी चट्टान।
3  नन रॉक – घुंघट कूड़े दुल्हन जैसी चट्टान।
•  हिल स्टेशन वाली झील कही जाती है यहां का सनसेट पॉइंट( सूर्यास्त) बहुत प्रसिद्ध है। 
•  गरासिया जनजाति  अस्थियों का विसर्जन इसी झील में करती है। 

3 राजसमंद झील (राजसमंद) :-
• निर्माता-  राजसिंह
•  निर्माण कार्य- 1662 ई
•  नदी-  गोमती
•  इस झील के निर्माण में सर्वाधिक लोगों का(60,000) योगदान है। 
•  इस दिल के किनारे 25 काले रंग के संगमरमर के शिलालेख स्थित है। 
• ” नौ चौकी पाल” ( सीढ़ियां)  राजसमंद झील में है। 
•  इन पर मेवाड़ का इतिहास रणछोड़ भट्ट तैलंग द्वारा संस्कृत भाषा में लिखा गया है।  जिसमें मेवाड़ के बप्पा रावल से राजसिंह तक का इतिहास है। 
•  द्वारकाधीश मंदिर और घेवर माता की छतरी इसी जिले के किनारे निर्मित है। 
• हाल ही में इस झील के किनारे सूर्य घड़ी के अवशेष मिले हैं। 

4  पिछोंला झील (उदयपुर) 
• निर्माण-  1388 ई
• निर्माता-  बंजारा( राणा लाखा के समय)
• नदी-  सिसारमा, बुझड़ा। 
• शाहजहां ने अपने विद्रोह काल में इसी झील पर शरण ली थी। 
• महाराणा जगत सिंह द्वितीय ने पिछोला झील में जगनिवास नामक महल बनवाए
• जगमंदिर से प्रेरित होकर शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण कराया था। 
• स्वरूप सागर नहर पिछोला और फतहपुर को जोड़ती है। 
• पिछोला का अतिरिक्त पानी फतहनगर में जाता है। 
• सौर ऊर्जा द्वारा संचालित प्रथम नाव इसी झील में चलाई गई थी। 
• पिछोला में प्रसिद्ध निर्माण:–
1 जगमंदिर –  जगत सिंह प्रथम
2 जग निवास –  जगत सिंह द्वितीय
3 नटनी का चबूतरा (राणा लाखा)

5 फतेह सागर ( उदयपुर)
•  निर्माण-   महाराजा जयसिंह (1688)
•  पुनः निर्माण –  फतेह सिंह ( 1888)
•  नदी –  सिसीरमा,बुझड़ा 
• उपनाम-  ड्यूक ऑफ कनॉट, देवाली तालाब, कनॉट बांध
• फतेह सागर में प्रसिद्ध :-
1 नेहरू उद्यान
2  सौर ऊर्जा वेधशाला- इस झील के पास गुजरात के सहयोग से बनाई गई है। 
3  टेलीस्कोप- इस झील के पास बेल्जियम के सहयोग से बनाया गया है।  

6  उदय सागर( उदयपुर)
•  निर्माता-  उदय सिंह
•  निर्माण काल-  1559
•  नदी –  आयड नदी
• आयड नदी  उदय सागर में गिरने के बाद बेडच कहलाती है। 




राजस्थान की खारे पानी की झीलें :–

सांभर झील

पचपदरा झील




राजस्थान के वन्यजीव अभयारण्य

राष्ट्रीय उद्यान :- 3



1. रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यान : सवाई माधोपुर 

• अभ्यारण के रूप में स्थापना - 1955
• टाइगर प्रोजेक्ट प्रारंभ - 1973 
• राष्ट्रीय उद्यान घोषित - 1 नवंबर, 1980 
• राजस्थान का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान
• प्रथम टाइगर प्रोजेक्ट 
• भारतीय बाघों का घर कहलाता है

भाग स्थानांतरण -
              रणथंभौर से सरिस्का 2008 
                    बाघ - सुल्तान
                   बाघिन - बबली 

प्रसिद्ध मछली - बाघिन,  
                        जिस पर टाइगर क्वीन के नाम से फिल्म बनाई गई।

दर्शनीय स्थल - त्रिनेत्र गणेश मंदिर 
                       जोगी महल 
                       कुत्ते की छतरी 

• लाल सिर वाले तोते यहां पाए जाते हैं।
• दुर्लभ जाति का काला गरुड़ राजस्थान में केवल इसी अभ्यारण में है।
• क्षेत्रफल - 282 वर्ग किलोमीटर

2. केवलादेव घना पक्षी विहार :- भरतपुर

क्षेत्रफल - 28.73 वर्ग किलोमीटर
• अभयारण्य का दर्जा - 1956 
• राष्ट्रीय उद्यान घोषित - अगस्त,1981
• पक्षी प्रजातियों की सर्वाधिक विविधता इसी अभ्यारण में है, अतः इसे पक्षियों का स्वर्ग कहा जाता है।
• 1985 में इसे विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।
• केवलादेव घना पक्षी विहार में नवंबर से फरवरी माह तक साइबेरियन सारस आते हैं।
• राजस्थान का प्रथम - रामसर स्थल/ नमभूमि / वेटलैंड 
• लाल गर्दन वाले तोते यहां पाए जाते हैं।
• यहां पाइथन पॉइंट हैं,जहां अजगर देखे जाते हैं।
• केवलादेव घना पक्षी विहार में अजान बांध से पानी की आपूर्ति होती है।

• प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी - डॉक्टर सलीम अली की कर्म स्थली है।


3. मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान :-

• पुराना नाम - दर्रा अभयारण्य

नाम परिवर्तन -
• 2003 में राजीव गांधी नेशनल पार्क 
• 2006 में मुकुंदरा हिल्स मुकुंदरा हिल्स

• अभ्यारण दर्जा - 1955 
• राष्ट्रीय उद्यान घोषित - 9 जनवरी, 2012 
• राजस्थान की तीसरी टाइगर परियोजना - अप्रैल 2013
• पुरातत्व संबंधी - आदिमानव साक्ष्य, शैल चित्र यहां मिलते हैं ।
• गागरोनी तोते (हीरामन या हिंदुओं का आकाश लोचन) पाए जाते हैं।
• क्षेत्रफल - 274‌ वर्ग किलोमीटर जिसमें से 199 वर्ग किलोमीटर राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र का हिस्सा है।
• मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व ( कोटा बूंदी झालावाड़ चित्तौड़ )
• अबली मीणी का महल

राजस्थान के वन्य जीव अभ्यारण्य :- 27

1. राष्ट्रीय मरू उद्यान :-
• बाड़मेर जैसलमेर बाड़मेर
• क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा अभयारण्य
• स्थापना मई 1981
• लाठी सीरीज इसी अभयारण्य में है
• सेवण घास
• यह अभयारण्य गोडावण की शरण स्थली कहलाता है। 
• यहां प्रोजेक्ट great Indian bustard 2013 चलाया गया।
• आकल वुड फालिस्क पार्क (जीवाश्म उद्यान)।
• पीवणा सांप सर्वाधिक ।

2. सरिस्का ‘अ' अभ्यारण्य :- अलवर
• राजस्थान का सबसे छोटा अभयारण्य
• केवल 3.01 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में।

3. दर्रा वन्यजीव अभ्यारण्य :- कोटा, झालावाड़ 
• यह अभयारण्य राष्ट्रीय उद्यान उद्यान एवं Tiger project दोनों का भाग है।

4. सवाई मानसिंह अभ्यारण्य :- सवाई माधोपुर
• 1993 में अभयारण्य घोषित
• 113 वर्ग किलोमीटर
• चिड़ीखोर नामक पर्यटन स्थल।

5. कैलादेवी अभ्यारण्य :- करौली + सवाई माधोपुर 
• 1983
• धोकड़ा वनों का विस्तार 
• क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरा राजस्थान का बड़ा अभ्यारण्य। 
• 1993 में रणथंभौर Tiger Reserve का भाग बना।

6. कुंभलगढ़ अभ्यारण्य :- राजसमंद + पाली + उदयपुर
• चंदन के वन  
• स्थापना - 1971 
• भेड़ियों की प्रजनन स्थली / लोमड़ियों
• रणकपुर जैन मंदिर।

7. टॉडगढ़ रावली अभ्यारण्य :-
अजमेर + पाली + राजसमंद 
• कर्नल टॉड के नाम पर 
• रीछ व जरखों के लिए प्रसिद्ध है 
• एक पात्र अभिनय जो 3 संभागों में फैला है ।

8. सीतामाता अभ्यारण :-
चित्तौड़ + प्रतापगढ़ + उदयपुर
• चीतल की मातृभूमि के नाम से प्रसिद्ध 
• सागवान वन
• उड़न गिलहरियों के लिए प्रसिद्ध 
• एंटीलौप चौसिंगा पाया जाता है , जिसे स्थानीय भाषा में भेड़ल / घण्टेल कहा जाता है ।
• राजस्थान का सर्वाधिक जैव विविधता वाला अभ्यारण्य।

9. रामगढ़ विषधारी :-
स्थापना - 1982 
बूंदी - नैनवा रोड पर 
• रणथंभोर के बाघों का जच्चा घर कहता है ।
• पाइथन / अजगर की शरण स्थली 
• धोंकड़ा वन 
• राजस्थान का चौथा टाइगर रिजर्व 

10. माउंट आबू अभ्यारण्य :- सिरोही
• राजस्थान में सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित अभ्यारण्य 
• 100 + दुर्लभ  जंतु
• जंगली मुर्गे
• यूब्लेफेरिस (सबसे सुंदर छिपकली)
• ग्रीन मुनिया (चिड़िया)
• दुर्लभ वनस्पति - “डिकील्पटेरा”
                          आबू ऐंसिस भी पाई जाती है।
   
• 25 जून 2009 में माउंट आबू को पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र ( Eco sensitive zone ) घोषित किया।

11. चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य :-
 • 5 जिलों - कोटा + बूंदी + सवाई माधोपुर + करौली + धौलपुर ।
तीन राज्य - राजस्थान + उत्तर प्रदेश + मध्य प्रदेश
• 1979 में चंबल नदी पर
• गांगेय सूंस (विशिष्ट स्तनपायी जीव )
• देश का एकमात्र नदी अभ्यारण्य 
• घड़ियालों का संसार
• जलीय जीवो की प्रजनन स्थली।

12. भैंसरोड़गढ़ अभ्यारण्य :- चित्तौड़गढ़
1983 में अभ्यारण्य दर्जा।
• * राणा प्रताप सागर बांध के पास।

13. बन्ध बारेठा :- भरतपुर 
• उपनाम - परिन्दों का‌ घर
• जरखों के लिए प्रसिद्ध।

14. बस्सी अभ्यारण्य :- *चित्तौड़गढ़
• “ चीतल की चहल - पहल ” उपनाम से प्रसिद्ध।
• बामनी व औराई नदियां इसके पास 

15. जवाहर सागर अभ्यारण्य :- Bundi + चित्तौड़ + कोटा
घड़ियालो‌‌ का प्रजनन केन्द्र।

16. शेरगढ़ अभ्यारण्य :- बारां
* सांपों की शरणस्थली 

17. जयसमंद अभ्यारण्य :- उदयपुर
• उपनाम* - जलचरों की बस्ती 

18. नाहरगढ़ अभ्यारण्य :- Jaipur
2006 में यहां Elephant Safari शुरू।
• *राजस्थान का तीसरा जैविक उद्यान।
• *भालू बचाव केन्द्र (Bear rescue center) 

19. वन विहार अभ्यारण्य :- धौलपुर
• आगरा - धौलपुर - मुम्बई राजमार्ग पर।

20. केसरबाग अभ्यारण्य :- धौलपुर 

21. ताल छापर अभ्यारण्य :- Churu
• काले हिरणों की शरणस्थली
• राजस्थान का तीसरा छोटा अभ्यारण्य। 

22. सज्जनगढ़ अभ्यारण्य :- उदयपुर
राजस्थान का दूसरा छोटा अभ्यारण्य 
राजस्थान का पहला जैविक उद्यान (2015)

23. रामसागर अभ्यारण्य :- धौलपुर 

24. सवाई माधोपुर अभ्यारण्य :- सवाई माधोपुर

25. गजनेर अभ्यारण्य :- Bikaner 
• बटबड़ पक्षी / रेत का तीतर / इम्पीरियल सेण्ड ग्राउज


26. सरिस्का अभ्यारण्य :- अलवर
• स्थापना - 1955
• * हरे कबूतरों के लिए प्रसिद्ध
• राजस्थान का दूसरा Tiger Reserve (1978)
• भर्तृहरि मंदिर (कनफटे नाथों की शरणस्थली)
• पांडुपोल मंदिर
• नौगजा जैन मंदिर।

27. फुलवारी की नाल :- उदयपुर 
• प्रथम Human anatomy park
• महाराणा प्रताप की कर्मस्थली।
• मानसी - वांकल नदियां।




राजस्थान मृगवन :-7



1. चित्तौड़गढ़ मृग वन : चित्तौड़ 
• राजस्थान का सबसे प्राचीन  
• मृगवन स्थापना - 1969

2. सज्जनगढ़ मृगवन : उदयपुर 
स्थापना - 1984
सज्जनगढ़ दुर्ग की तलाशी में तलहटी में  

3.पुष्कर मृगवन : पंचकुंड, अजमेर 
स्थापना - 1985 

4.माचिया सफारी मृगवन : जोधपुर
• 1985
• कायलाना झील के पास 

5.अशोक विहार : जयपुर 
• स्थापना - 1986 

6.संजय उद्यान : शाहपुरा, जयपुर 
• स्थापना - 1986 

7.अमृता देवी निर्गुण मृगवन : खेजड़ली , जोधपुर
• स्थापना - 1994 
• राजस्थान का सबसे नवीनतम मृगवन

बायोलॉजिकल पार्क – 5


1. सज्जनगढ़ biological park - उदयपुर (12 अप्रेल, 2015 लोकार्पण)
• प्रथम biological park

2. माचिया सफारी biological park :- जोधपुर (20 जनवरी, 2016 लोकार्पण)
• द्वितीय biological park 

3. नाहरगढ़ biological park :- जयपुर (4 जून, 2016 लोकार्पण)

निर्माणाधीन :-

4. अभेड़ा biological park :- कोटा (नांता) 

5. मरुधरा biological park :- बीकानेर (बीछवाल) 

आखेट निषिद्ध क्षेत्र :- 33



1. डोली – जोधपुर 
2. लोहावट –जोधपुर 
3. गुढ़ा बिश्नोई – जोधपुर 
4. 73 – जोधपुर 
5. फिट कासनी – जोधपुर 
6. जंभेश्वर जी – जोधपुर 
7. देचू – जोधपुर
8. धोरीमना – जोधपुर 

9. रामदेवरा – जैसलमेर 
10. उज्जला – जैसलमेर 

11. देशनोक – बीकानेर
12.  जोड़बीड़ – बीकानेर 
13. बज्जू – बीकानेर
14. दियातरा – बीकानेर 
15. मुकाम – बीकानेर 
16. संवत्सर – बीकानेर 

17. सेंट्रल सागर – दोसा 
18. महिला – जयपुर 
19. बदोत – अलवर 
20. जोड़ियां – अलवर 
21. रानीपुरा – टोंक
22. कव्वाल जी – सवाई माधोपुर 
23. कनक सागर – बूंदी 
24. सोरसन – बारां 
25. बागबेड़ा – उदयपुर
26. सुखलिया – अजमेर 
27. गगवाना – अजमेर 
28. तिलोरा – अजमेर  
29. मेनाल – भीलवाड़ा 
30. जरोदा – नागौर 
31. रोटू – नागौर 
32. सांचौर – जालौर
33. जवाई बांध – पाली 







राजस्थान के कन्जर्वेशन रिजर्व :- 20



1. बिसलपुर कन्जर्वेशन रिजर्व - टोंक
13-10-2008
• पहला Conservation Reserve

2. जोहड़बीड गढ़वाल कन्जर्वेशन रिजर्व - बीकानेर 
3. सुन्धामाता कन्जर्वेशन रिजर्व - जालौर
4. गुढ़ा विश्नोई कंजर्वेशन रिजर्व - जोधपुर
5. शाकम्भरी कंजर्वेशन रिजर्व - सीकर , झुंझुनू
6. गोगेलाव कंजर्वेशन रिजर्व - नागौर
7.रोटू कंजर्वेशन रिजर्व - नागौर
8. उम्मेदगंज पक्षी विहार कंजर्वेशन रिजर्व - कोटा
9. जवाई बांध लियोपार्ड कंजर्वेशन रिजर्व - पाली
10. जवाई बांध  कंजर्वेशन रिजर्व II - पाली
11. बीड कंजर्वेशन रिजर्व - झुंझुनू
12. बासी हाल खेतड़ी कंजर्वेशन रिजर्व - झुंझुनू
13. बस यार खेत्री बागोर कंजर्वेशन रिजर्व - झुंझुनू
14. मनसा माता कंजर्वेशन रिजर्व - झुंझुनू
15. रणखार कंजर्वेशन रिजर्व - जालौर
16. शाहबाद कन्जर्वेशन रिजर्व - बारां‌‌
17. शाहबाद तलहटी कन्जर्वेशन रिजर्व - बारां
18. बीड़ घास फुलिया खुर्द कन्जर्वेशन रिजर्व - भीलवाड़ा
19. बाघदर्रा क्रोकोडाइल कन्जर्वेशन रिजर्व - उदयपुर
      (अधिसूचना - 30 नवंबर 2022)
20. वाड़ाखेडा‌ कन्जर्वेशन रिजर्व - सिरोही 
       (अधिसूचना - 27 दिसंबर 2022)
21. झालाना – आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व (जयपुर)
22. कुंजी सुंवास कंजर्वेशन रिजर्व -- बारां (रामगढ़) (नवीनतम)



4 नए conservation रिज़र्व बनने के बाद -

✍️ सबसे बड़े conservation रिज़र्व 

 1.शाहबाद के जंगल (189.39 वर्ग km)  
2. शाहबाद तलहटी (178.84 वर्ग km)

 ✍️ सबसे छोटे conservation रिज़र्व  

1. रोटू 0.72 (वर्ग km)
2. बीड घास फूलियाखुर्द (0.85 वर्ग km)



राजस्थान के जिला शुभंकर

अलवर - सांभर

• भरतपुर - साइबेरियन सारस

• करौली - घड़ियाल

• धौलपुर - पंछीरा 

• सवाईमाधोपुर - बाघ

• जैसलमेर - गोडावण

• जोधपुर - कुरजां पक्षी

• बाडमेर - मरू लोमडी

• बीकानेर - भट्ट तीतर 

• श्रीगंगानगर - चिंकारा 

• हनुमानगढ़ - छोटा किलकिल

• चुरू - काला हिरण 

• झुंझुनू - काला तीतर

• सीकर - शाहीन (बाज)

• बारां - मगरमच्छ

• कोटा - ऊदबिलाव 

• बूंदी - सुर्खाब

• झालावाड - गागरोनी तोता

• बांसवाडा - जलपीपी 

• डूंगरपुर - जंगली धोक

• प्रतापगढ़ - उड़न गिलहरी

• जयपुर - चीतल

• दौसा - खरगोश

• अजमेर - खड़मौर

• टोंक - हंस

• राजसमंद - भेड़िया 

• भीलवाडा - मोर

• चितौड़गढ- चौसिंगा 

• नागौर - राजहंस

• पाली - तेंदुआ

• जालौर - भालू

• सिरोही - जंगली मुर्गे 

• उदयपुर - बिज्जू


कैलाश सांखला

• Jodhpur निवासी
• Tiger man of India
• Rajasthan में बाघ परियोजना के जन्मदाता
• पद्मश्री 1992
• Books :- 
                1. A Story Of Indian Tiger
                2. The Tigers
                3. Return Of the Tiger.

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